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शुरुआत में सिर्फ एक्सरसाइज़ से काम चल जाता है, लेकिन जैसे-जैसे थकान बढ़ती है, शरीर को अतिरिक्त मदद की ज़रूरत महसूस होती है। ऐसे में लोग अश्वगंधा, शिलाजीत जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों वाले प्राकृतिक सप्लीमेंट को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं, जिससे रिकवरी बेहतर होती है और ऊर्जा बनी रहती है।
Zandu पिछले 110+ वर्षों से भारत में आयुर्वेद की विश्वसनीयता और गुणवत्ता का प्रतीक रहा है। हर महीने लाखों लोग इसके हर्बल समाधान चुनते हैं – चाहे वो इम्यूनिटी हो, पाचन हो या अब नई पीढ़ी के लिए वर्कआउट से जुड़ी ताकत। आज जब युवाओं का झुकाव नैचुरल फिटनेस की ओर बढ़ रहा है, उन्हें ज़रूरत है ऐसे भरोसेमंद ब्रांड की जो सिर्फ तेज़ असर नहीं, बल्कि स्थायी मजबूती और संतुलन भी दे।
हाँ, Zandu सप्लीमेंट्स में कोई सिंथेटिक स्टेरॉइड या केमिकल नहीं होता, जिससे इन्हें रोज़ाना कुछ हफ्तों तक लिया जा सकता है। बहुत से यूज़र्स ने इन्हें 3–6 महीनों तक लिया और कोई साइड इफेक्ट नहीं पाया।
शुरुआत बहुत ही सिंपल तरीके से हो सकती है – जैसे सुबह घर की छत पर 20 पुशअप्स और 15 स्क्वॉट्स। साथ ही खाने में प्रोटीन वाली चीज़ें बढ़ाना और रात को सोने से पहले अश्वगंधा वाला दूध लेना।
कई लोग फिटनेस की शुरुआत तो करना चाहते हैं, लेकिन रात की खराब नींद और सुबह की सुस्ती बड़ी रुकावट बन जाती है। ऐसे में जब रूटीन में हल्के बदलाव किए जाते हैं — जैसे रात को सोने से पहले अश्वगंधा जैसे आयुर्वेदिक घटकों का सेवन — तो शरीर के साथ-साथ दिमाग भी शांत महसूस करता है। इससे वर्कआउट में फोकस बढ़ता है और रिकवरी भी बेहतर होती है।
डाइटिंग के चक्कर में कई लोग थक जाते हैं – न भूख लगती है, न एनर्जी बनी रहती है। खासकर महिलाएं, जो फिटनेस तो चाहती हैं, लेकिन कमजोरी या थकान के डर से झिझकती हैं। ऐसे में शतावरी, सौफ और सफेद मूसली जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ शरीर को अंदर से मज़बूती देती हैं और भूख को संतुलित करती हैं। इससे सिर्फ जिम या योग नहीं, दिनभर की एक्टिविटी भी बेहतर महसूस होती है – और शरीर पर कंट्रोल का डर कम हो जाता है।
40 की उम्र के बाद कई लोग सोचते हैं कि अब बॉडी बनाना मुश्किल है। लेकिन अगर रोज़ाना हल्का योग, पौष्टिक खाना और शिलाजीत जैसे पारंपरिक उपाय अपनाए जाएं, तो कुछ ही महीनों में शरीर में फर्क दिखने लगता है — ऊर्जा बढ़ती है, और लोग कहते हैं ‘अब फिर से पहले जैसा जोश आ गया है।
सिर्फ सप्लीमेंट लेने से बॉडी नहीं बनती – असली बदलाव तब आता है जब उसे मेहनत के साथ जोड़ा जाए। जब रोज़ सुबह 10 मिनट की वॉक, कुछ पुशअप्स जैसे छोटे कदम लिए जाते हैं, तो सप्लीमेंट्स शरीर को अंदर से मज़बूती देने का काम करते हैं। वे आपकी मेहनत को सपोर्ट करते हैं, उसका विकल्प नहीं होते।
















